विभिन्न जीवनशैली और कई अन्य कारणों जैसे हार्मोनल असंतुलन, कोई भी बीमारी, चोट, यौन अक्षमता, पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं- मधुमेह, अधिक तापमान में काम करना, आनुवांशिक कारणों, एक्स-रे या औद्योगिक कारकों जैसे- रसायन आदि के संपर्क में आने वाले पर्यावरणीय कारकों से पुरुषों में बांझपन काफी बढ़ने लगा है।
शुक्राणु (वीर्य) की कमी को तकनीकी रूप से ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia in Hindi) के नाम से जाना जाता है, ओलिगोस्पर्मिया पुरुषों में उप-प्रजनन या बाँझपन का एक बहुत ही आम कारण है।
गर्भधारण करने में कुछ समय लग सकता है क्योंकि यह महिला साथी के अंडे को निषेचन में व्यवहार्य शुक्राणु का मौका कम कर देता है और कुछ मामलों में गर्भावस्था को रोक सकता है। ऐसे कई पुरुष जिनके पास कम शुक्राणुओं की संख्या है, वे अभी पिता बनने में असक्षम है।
शुक्राणुओं की कमी का अर्थ है कि यौन प्रक्रिया के दौरान पुरुषों के लिंग से निकलने वाले सीमेन में कम शुक्राणुओं का पाया जाना। कम शुक्राणुओं की समस्या यानि लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia in Hindi) कहते हैं।
यदि किसी पुरुष के सीमेन में एक भी शुक्राणु ना मिलें तो उसे एजूस्पर्मिया (Azoospermia) कहा जाता है। मगर तब भी निराश नहीं होना चाहिए, कई लोगों में क्रयफ़ोजूस्पेर्मिया भी होता है।
एक पुरुष के वीर्य में सामान्य तौर पर शुक्राणु की संख्या (Normal Sperm Count in Hindi) 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एम एल) तक होती है।
यदि किसी पुरुष के एक मिलीलीटर सीमेन में 15 मिलियन से कम शुक्राणु की मात्रा हैं तो उसको कम शुक्राणुओं की समस्या है।
शुक्राणु कम होने के लक्षण में सबसे मुख्य लक्षण है कि एक पुरुष बच्चे पैदा करने में असमर्थ होता है।
हालाँकि, इस समस्या के कोई ख़ास लक्षण या स्पष्ट संकेत दिखाई नहीं देते हैं। कुछ मामलों में हार्मोन में असंतुलनता, फैला हुआ टेस्टिक्युलर नस या शुक्राणु के गुजरने में बाधा उत्पन्न करने वाला एक विकार संभावित रूप से चेतावनी संकेतों का कारण बन सकता है।
शुक्राणु की कमी के लक्षणों में यह भी शामिल हैं (Symptoms of Low Sperm Count in Hindi)
यौन प्रक्रिया की समस्याएं:-
अधिकांश पुरुष पूरी तरह से अपनी प्रजनन स्थिति से अनजान होते हैं। जब तक कि किसी महिला को गर्भवती ना कर दें, तब तक वे अंधेरे में रहते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में कारण अव्यवस्थित रहता है क्योंकि शुक्राणु की कम संख्या एक अस्थायी परिवर्तन के रूप में हो सकता है।
शुक्राणुओं की कम संख्या कई चिकित्सा मुद्दों, पर्यावरणीय कारकों और जीवनशैली विकल्पों के कारण भी हो सकता है।
शुक्राणु बनने की प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए वृषण के साथ हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथियों को सामान्य रूप से कार्य करने की आवश्यकता होती है। यदि किसी भी अंग में समस्या हुई तो शुक्राणु की पैदावार कम हो सकती है।
अक्सर कम शुक्राणुओं की कमी की समस्या के कारण के बारे में पता नहीं लग पाता है। इसका इलाज भी समस्या की गंभीरता पर निर्भर करता है।
मेडिकल कारण
कई स्वास्थ्य समस्याओं और मेडिकल उपचार के कारण शुक्राणुओं में कमी आ सकती है। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :-
पर्यावरण सम्बन्धी कारण
कुछ पर्यावरणीय तत्वों के संपर्क में आने से शुक्राणुओं की संख्या प्रभावित हो सकती है। जिसके मुख्य कारण हैं :-
स्वास्थ्य और जीवन शैली
नशीली दवाओं या पदार्थों के सेवन से आपके शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता कम हो सकती है।
शुक्राणु की कमी की सफल कहानी (Low Sperm Count Success Story in Hindi)
एक बार जब आदमी पिता बनने की कोशिश करता है तो ओलिगोस्पर्मिया के ज्यादातर मामलों का पता लगाया जाता है, और जब प्राकृतिक असुरक्षित संभोग के एक साल बाद गर्भावस्था को हासिल नहीं किया जाता है, तो पुरुष और महिला साथी दोनों को प्रजनन की स्थिति का परीक्षण करना पड़ता है।
एक स्त्री रोग विशेषज्ञ या बांझपन परामर्शदाता वीर्य विश्लेषण परीक्षण (Semen Analysis Test) यानि स्पर्म काउंट टेस्ट (Sperm Count Test in Hindi) करवाते हैं। शुक्राणुओं की कमी या ओलिगोस्पर्मिया का निदान एक वीर्य विश्लेषण परीक्षण में पाए जाने वाले कम शुक्राणुओं पर आधारित होता है।
शुक्राणुओं की कम संख्या बांझपन के क्षेत्र में इलाज योग्य है, और उपचार स्थिति के कारण पर निर्भर करता है।
एक आदमी जिसकी वैरीकोसेल यानि वृषण से निकलने वाली नसों में सूजन या एक शुक्राणु वाहिका नली (Vas Deferens Tube) में ब्लॉकेज है, तो सर्जरी के द्वारा ठीक किया जा सकता है। मूत्रमार्ग या प्रजनन पथ के संक्रमण के कारण शुक्राणुओं की कमी के लिए, संक्रमण को साफ़ करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं निर्धारित की जाती हैं।
दवा और हार्मोन प्रतिस्थापन उपचार का उपयोग तब किया जाता है जब शुक्राणुओं की कमी का कारण हार्मोनल असंतुलन से संबंधित होता है।
यदि एक दम्पति एक साल के लम्बे प्रयास के बाद भी गर्भधारण करने में सक्षम नहीं है तो उनको एक बांझपन विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
लौ स्पर्म काउंट ट्रीटमेंट (Low Sperm Count Treatment in Hindi) यानि ओलिगोस्पर्मिया ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर उन्हें आई यू आई (इंट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन), आई वी एफ (इन विट्रो फर्टीलाइज़ेश), आई सी एस आई (इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन) द्वारा गर्भधारण की सुविधा के लिए प्रजनन तकनीक की सहायता की सलाह देंगे।
यदि किसी मामलें में जहां स्खलन में बहुत शुक्राणु पाए जाते हैं या बहुत कम शुक्राणुओं की संख्या टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन प्रक्रियाओं की सलाह दी जाएगी, जो शुक्राणुओं को टेस्टिकल्स से निकालने के बाद आई वी एफ के साथ संयोजन के लिए उपयोग किया जाता है।
कभी-कभी पुरुष प्रजनन समस्याओं का इलाज नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में आप और आपकी साथी को डोनर शुक्राणु की राय दी जाती है या आप एक बच्चे को गोद ले सकते हैं।
शुक्राणु की कमी के उपचार (ओलिगोस्पर्मिया ट्रीटमेंट) के लिए मेडिकवर फर्टिलिटी एक अच्छा विकल्प है।
मेडिकवर फर्टिलिटी एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय ब्रांड है। यहाँ अत्यधिक कुशल और अनुभवी डॉक्टरों की एक टीम है जो बांझपन की समस्या का इलाज कर दम्पतियों को उनके बच्चे की ख़ुशी देता है।
मेडिकवर फर्टिलिटी के फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की सफलता की दर उच्च है क्योंकि यहाँ आधुनिक तकनीकों और उपकरणों के प्रयोग से इलाज की प्रक्रिया की जाती है। यहाँ बांझपन के वास्तविक कारण को जानने के लिए दम्पतियों की सावधानी से जांच की जाती है।
शुक्राणुओं की कमी की वजह से पुरुष बांझपन का निदान प्राप्त करना भावनात्मक रूप से परेशान कर सकता है। मेडिकवर फर्टिलिटी ने बहुत से पुरुषों को शुक्राणु की कमी के लिए उपचार (Low Sperm Treatment in Hindi) प्रदान किया है।
ओलिगोस्पर्मिया के प्रकार के आधार पर एक उपचार योजना तैयार करता है। बहुत हल्के ओलिगोस्पर्मिया के मामले में आई यू आई, मध्यम ओलिगोस्पर्मिया मामलों में आई वी एफ किया जाता है। आई सी एस आई, आई वी एफ को गंभीर ओलिगोस्पर्मिया के क्रिप्टोज़ोस्पर्मिया के मामलों में किया जाता है, कभी-कभी शुक्राणु की टेस्टिकुलर एस्पिरेशन किया जाता है जिन लोगों में अशुक्राणु या दुर्लभ शुक्राणु पाए जाते हैं। भ्रूणविज्ञानी के परामर्श से डॉक्टर दम्पति के मेडिकल इतिहास को देखकर सबसे अच्छी उपचार योजना तैयार करते हैं।
मेडीकवर फर्टिलिटी में आपकी जानकारी पूर्ण रूप से गुप्त रखी जाती है। यदि आपको इस विषय से सबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप इस नंबर पर 7862-800-700 संपर्क कर सकते हैं।
सबसे पहले किसी विशेषज्ञ से मिलें, जो आपके स्पर्म काउंट कम होने के कारण का पता लगा सकें और उसके अनुसार आपको सही सलाह दे सकें। साथ ही डॉक्टर कुछ दवाइयों का सुझाव भी दे सकते हैं।
सामान्य शुक्राणु की संख्या 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एम एल) होनी चाहिए।
निल शुक्राणु के लक्षण हो सकते हैं जैसे कामेच्छा में कमी, स्तंभन दोष या नपुंसकता, वृषण (testes) में दर्द, सूजन या गांठ का होना, शरीर के बालों का कम होना।
स्पर्म काउंट कम होने पर गर्भधारण हो सकता है लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है, इसलिए शुक्राणु की कमी होने पर गर्भधारण होने में समस्या आ सकती है।