एक साल या उससे अधिक समय तक प्रयास करने के बावजूद गर्भवती नहीं होने की स्थिति इनफर्टिलिटी है।
यह निर्धारित करने के लिए कि एक कपल इनफरटाइल है या नहीं, डॉक्टर उनके स्वास्थ्य इतिहास, दवाओं
और यौन इतिहास की जांच करते हैं। लगभग 80% दम्पतियों में, इनफर्टिलिटी का कारण ओवुलेशन
समस्या, फैलोपियन ट्यूब की रुकावट, या स्पर्म में समस्या है।
Medicover Fertility / फर्टिलिटी ट्रीटमेंट
जब इनफर्टिलिटी की समस्या महिला साथी में होती है, तब एक वर्ष के प्रयास के बाद भी उसका गर्भधारण नहीं होता है, और इसे महिला बाँझपन कहा जाता है। महिलाओं में इनफर्टिलिटी के कारणों में सबसे आम कारण हैं- ओव्यूलेशन डिसऑर्डर, फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज, गर्भाशय का असामान्य आकार या गर्भाशय ग्रीवा में समस्या। अधिक उम्र भी एक महिला में बांझपन का कारण बन सकती है, क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ महिला की फर्टिलिटी घट जाती है।
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पुरुष का किसी महिला के गर्भधारण करने में असमर्थ होने को, पुरुष बांझपन यानी मेल इनफर्टिलिटी कहा जाता है। बाँझपन के मामलों में, 30-35% पुरुष बाँझपन का कारण शामिल है। पुरुष बाँझपन आम तौर पर शुक्राणु के उत्पादन, शुक्राणु के ट्रांसपोर्ट, शुक्राणु की क्वालिटी को प्रभावित करने वाली समस्याओं का कारण होता है और एक विस्तृत वीर्य विश्लेषण रिपोर्ट के द्वारा शुक्राणु की गति, शुक्राणु की संख्या और शुक्राणु के आकर की जाँच की जाती है।
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डोनर एम्ब्र्यो के साथ आईवीएफ की प्रक्रिया उन मामलों में की जा सकती है जहाँ पुरुष और महिला दोनों ही पार्टनर में इनफर्टिलिटी की समस्या होती है। यानि, महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु, एक अच्छे एम्ब्र्यो को बनाने के योग्य नहीं होते है। डोनर एम्ब्र्यो में अंडे और शुक्राणु दोनों ही किसी गुमनाम डोनर से लिए जाते हैं और उसके बाद तैयार हुए एम्ब्र्यो को महिला साथी के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। यह उपाय तब भी किया जा सकता है जब पुरुष और महिला की अनुवांशिक/ जेनेटिक समस्या के कारण एम्ब्र्यो में वह समस्याएं आने की संभावना होती है।
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फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें भविष्य में उपयोग के लिए अंडे, शुक्राणु व एम्ब्र्यो को प्रिज़र्व यानि संरक्षण किया जाता है। किसी प्रकार के गंभीर मेडिकल ट्रीटमेंट (जैसे कि कैंसर का इलाज), के दौरान महिला और पुरुष के अंडों या शुक्राणुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे मामलों में फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन प्रक्रिया से अंडों और शुक्राणुओं को उपचार से पहले संरक्षण करके सुरक्षित कर सकते हैं।