कुछ दम्पति प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन पाते तो उनको सहायक प्रजनन तकनीक जैसे कि आई यू आई, आई वी आफ, आई सी एस आई आदि प्रक्रिया का सहारा लेना पड़ता हैं। आई सी एस आई और आई वी एफ प्रक्रिया में महिला के शरीर से अंडे को बाहर निकाल कर पुरुष के शुक्राणु के साथ निषेचन किया जाता हैं। भ्रूण तैयार होने के बाद उसे माँ के गर्भाश्य में वापिस रख दिया जाता हैं। भ्रूण स्थानान्तरण (Embryo Transfer in Hindi) के बाद कुछ सावधानियों का ध्यान रखना पड़ता हैं जिससे करवाया गया उपचार सफल रहें।
अंडे और शुक्राणु के निषेचन यानि फर्टिलाइज़ेशन के बाद भ्रूण तैयार होता है। इस भ्रूण के गर्भाशय पर प्रत्यारोपित होने पर गर्भधारण होता है। सामान्य रूप से यह फर्टिलाइज़ेशन की प्रक्रिया महिला की फैलोपियन ट्यूब में होती है यानि फैलोपियन ट्यूब में भ्रूण तैयार होता है।
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आईवीएफ की प्रक्रिया में महिला के अंडे को बहार निकालकर उसे पुरुष के शुक्राणु के साथ फर्टिलाइज़्ड किया जाता है। फर्टिलाइज़्ड होने के बाद तैयार हुए भ्रूण यानि एम्ब्र्यो को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।
महिला के गर्भाश्य में भ्रूण स्थानातंरण यानि एम्ब्र्यो ट्रांसफर (Embryo Transfer) के कुछ वक़्त के बाद बदलाव होते हैं-
एम्ब्र्यो ट्रांसफर के बाद प्रेगनेंसी के कुछ लक्षण जो एक महिला अनुभव कर सकती है-
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